कांगड़ा,11 नवंबर ,मनोज
माता श्री जयंती देवी मंदिर में पंच भीष्म मेले के पहले दिन सुबह 5:00 से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। मेले के पहले दिन स्थानीय लोगों सहित बाहरी राज्यों के लोगों ने मां के दर हाजिरी भरी, हालांकि पहले दिन लंबी लाइन देखने को तो नहीं मिली लेकिन श्रद्धालुओं का आना-जाना दिन भर लगा रहा। प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले दिन लगभग 400 श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए। कांगड़ा किला के ठीक सामने वाली पहाड़ी की चोटी पर स्थित माता के मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। वहीं मंदिर को जाने वाले रास्ते में विभिन्न खाने पीने व अन्य सामान की दुकान लगी हुई थी। मंदिर के वरिष्ठ पुजारी नरेश शर्मा ने बताया कि वर्षभर श्रद्धालु जयंती माता मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं, लेकिन पंच भीष्म मेलों का विशेष महत्व है। मंदिर में पांच दिनों तक चलने वाले इन मेलों में कांगड़ा ही नहीं बल्कि दूर दराज के क्षेत्रों से भी हजारों की संख्या में लोग यहां पर मां के दर्शनों के लिए उमड़ते हैं। पहले पंच भीष्म मेले के दौरान मंदिर के कपाट सुबह 4:00 बजे ही खोल दिए थे वही श्रद्धालु सुबह 5 बजे से पहुंचना शुरू हो गए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर पांडवों का वास कुछ समय यहां तक रहा है पंचम भीष्म मेलों के दौरान इस क्षेत्र का नजारा कुछ और होता है। उन्होंने बताया कि कार्तिक मास की एकादशी में विशेषकर महिलाओं के लिए खास है महिलाएं 5 दिन तक व्रत रखती है और मात्र फलाहार पर ही निर्भर रहती है। तुलसी को गमले में लगा कर उसे घर के भीतर रखा जाता है और चारों ओर केले पत्र लगाकर दीपक जलाया जाता है भीष्म पंच को पंज भिखू के नाम से भी जाना जाता है आगामी मेलों के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में इज़ाफ़ा होगा।
